छठ के खरना विधि और महत्व पर एक दृष्टि
छठ महापर्व का दूसरा दिन, जिसे हम 'खरना' के नाम से जानते हैं, श्रद्धा और आस्था से ओतप्रोत होता है। यह दिन व्रतियों के लिए बेहद खास होता है क्योंकि इसमें उपवास की पवित्रता के साथ आत्मा और शरीर को शुद्ध किया जाता है। खरना की संध्या को जब घर-आंगन में शुद्धता और पवित्रता का माहौल होता है, तब इस पावन पर्व की गरिमा का असली एहसास होता है।
खरना का महत्व
खरना का मुख्य उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और प्रभु सूर्य की कृपा प्राप्त करना होता है। इस दिन पूरे दिन का उपवास रखकर, व्रती शाम के समय खरना की पूजा करते हैं। खरना के बाद व्रतियों द्वारा केवल फल और प्रसाद ग्रहण किया जाता है, जिससे शरीर और मन दोनों ही पवित्र होते हैं। खरना की पूजा और इस दिन का उपवास व्रतियों के लिए नई ऊर्जा और आध्यात्मिकता का संचार करता है। माना जाता है कि इस दिन का उपवास और पूजा व्रती के मन को निर्मल कर उन्हें सूर्य देव और छठी माई का आशीर्वाद प्राप्त करने योग्य बनाती है।
खरना विधि
1. साफ-सफाई और पवित्रता: खरना की पूजा के लिए घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है। व्रती स्नान कर के नए वस्त्र धारण करते हैं और पवित्र भाव से पूजा की तैयारी करते हैं।
2. खरना का प्रसाद: खरना का प्रसाद सादगी का प्रतीक होता है। प्रसाद के रूप में गुड़ और चावल से बनी खीर, रोटी और केले का भोग लगाया जाता है। मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से बनाए गए प्रसाद को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस प्रसाद का स्वाद और सुगंध अद्वितीय होता है, क्योंकि इसे पूर्ण श्रद्धा और आस्था से बनाया जाता है।
3. अर्घ्य देने की परंपरा: खरना के प्रसाद को सूर्य देव और छठी माई को अर्पित कर व्रती प्रसाद का सेवन करते हैं। यह प्रसाद खाकर व्रती अपनी भूख और प्यास को नियंत्रित करते हुए अपनी श्रद्धा को और मजबूत बनाते हैं।
खरना की रात की महत्ता
खरना की रात का विशेष महत्व है। इस रात से लेकर अगली सुबह तक, व्रती जल, भोजन और नींद का त्याग करते हैं। यह संकल्प और तपस्या उनकी भक्ति को और गहरा बना देती है। व्रती के मन में सिर्फ एक ही लक्ष्य होता है - अपनी श्रद्धा और भक्ति को सर्वोच्चता पर रखना।
आधुनिक समाज में खरना का महत्व
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खरना का यह दिन हमें एक बार ठहरने और स्वयं से जुड़ने का अवसर देता है। यह पर्व न केवल पवित्रता का प्रतीक है, बल्कि आत्मा की शांति, परिवार की समर्पण भावना और समाज की एकजुटता का भी संदेश देता है। हमारे पूर्वजों द्वारा शुरू की गई यह परंपरा हमें बताती है कि जीवन में कुछ समय आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिकता के लिए निकालना भी बेहद आवश्यक है।
अंत में कह सकते हैं कि छठ के खरना का महत्व न केवल धार्मिक है, बल्कि यह जीवन में संयम, साधना और संतोष की भावना को भी सिखाता है। जब हर ओर दीप जल रहे होते हैं, और भक्ति के सुर गूंज रहे होते हैं, तब खरना के इस पावन अवसर पर एक अलग ही सुकून और आस्था का अनुभव होता है।
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