तुलसी विवाह: कथा, पूजन विधि और इसका महत्व

तुलसी विवाह की कहानी
तुलसी विवाह की परंपरा हमारे पुराणों से जुड़ी है। कथा के अनुसार, पहले तुलसी एक स्त्री थीं जिनका नाम वृंदा था। वृंदा भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थीं और उनके पति का नाम जलंधर था, जो एक राक्षस थे। वृंदा अपने पति की रक्षा के लिए भगवान विष्णु की पूजा करती थीं।

जब जलंधर के अत्याचार बढ़ने लगे तो देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी। भगवान विष्णु ने छल से वृंदा की तपस्या को भंग कर दिया, जिससे जलंधर की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु से दुखी वृंदा ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वे पत्थर के रूप में बदल जाएँ। इस श्राप के कारण भगवान विष्णु शालिग्राम नामक पत्थर के रूप में प्रकट हुए। वृंदा ने भी अपने शरीर को त्याग दिया और तुलसी का पौधा बन गईं। भगवान विष्णु ने तुलसी को आशीर्वाद दिया कि हर साल उनका विवाह शालिग्राम के साथ होगा। तभी से तुलसी विवाह की परंपरा शुरू हुई।

तुलसी विवाह की पूजन विधि
तुलसी विवाह का आयोजन बहुत ही सरल होता है। इस दिन तुलसी के पौधे को एक दुल्हन की तरह सजाया जाता है, और भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप को वर के रूप में सजाया जाता है।

1. तुलसी माता का श्रृंगार: सबसे पहले तुलसी के पौधे को अच्छे से साफ करके सजाया जाता है। पौधे पर लाल या पीले वस्त्र, बिंदी, सिंदूर और चूड़ियाँ चढ़ाई जाती हैं ताकि तुलसी माता दुल्हन के रूप में सजी दिखें।

2. शालिग्राम जी का श्रृंगार: भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप को धोकर पीले वस्त्र और चंदन से सजाया जाता है। शालिग्राम जी को तुलसी माता के पास रखा जाता है ताकि दोनों का विवाह किया जा सके।

3. पूजन का आरंभ: पूजा के आरंभ में गणेश भगवान की पूजा की जाती है। इसके बाद तुलसी माता और शालिग्राम जी का ध्यान करते हुए दीपक जलाकर पूजा की जाती है। फिर भगवान विष्णु और तुलसी माता की कथा सुनी या पढ़ी जाती है।

4. विवाह की रस्में: विवाह के लिए एक वस्त्र को तुलसी के पौधे और शालिग्राम जी के बीच बांध दिया जाता है। इसके बाद मंत्रों के साथ तुलसी और शालिग्राम के फेरे कराए जाते हैं। इस दौरान भजन और मंगल गीत गाए जाते हैं।

5. प्रसाद वितरण: पूजा के बाद तुलसी और शालिग्राम जी को मिठाई और फल अर्पित किए जाते हैं। फिर इस प्रसाद को सभी भक्तों में बाँट दिया जाता है।

तुलसी विवाह का महत्व

तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व बहुत बड़ा है। इसे करने से पुण्य मिलता है और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है। जो लोग विवाह योग्य हैं या जिनके घर में किसी कारणवश विवाह नहीं हो पा रहा है, वे तुलसी विवाह करके पुण्य कमा सकते हैं। यह पर्व हमें प्रकृति और जीवन के प्रति प्रेम और आदर का संदेश देता है।

तुलसी का पौधा हमारे जीवन में विशेष भूमिका निभाता है। इसे घर में रखने से घर की ऊर्जा सकारात्मक रहती है और वातावरण पवित्र बनता है। तुलसी विवाह हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति का आदर करना चाहिए और भगवान के प्रति अपनी भक्ति और आस्था को बनाए रखना चाहिए।


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