छठ नहाय-खाय का महत्व और विधि

छठ पर्व का पहला दिन 'नहाय-खाय' के नाम से जाना जाता है। इस दिन से छठ का पवित्र त्योहार शुरू होता है, जिसमें व्रती यानी छठ व्रत करने वाले लोग पूरी सच्चाई और समर्पण के साथ सूर्य देवता की पूजा करते हैं। नहाय-खाय की रस्म छठ पर्व की तैयारी का पहला कदम है और इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है।

नहाय-खाय का महत्व

छठ पूजा में नहाय-खाय का बहुत खास महत्व है। इस दिन व्रती खुद को और अपने मन को पूरी तरह से शुद्ध करने की कोशिश करते हैं। इसे करने के पीछे ये मान्यता है कि जब व्रती अपने शरीर और मन को शुद्ध कर लेते हैं, तो वे सूर्य देव की पूजा के लिए पूरी तरह तैयार हो जाते हैं। ये दिन व्रत की शुरूआत का पहला संकेत होता है और इस दिन से ही लोग छठ के नियमों का पालन करना शुरू कर देते हैं।

नहाय-खाय की विधि

नहाय-खाय के दिन सुबह-सुबह व्रती उठकर स्नान करते हैं। इस दिन गंगा नदी या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना विशेष शुभ माना जाता है। अगर नदी में स्नान संभव नहीं हो, तो लोग घर पर ही स्नान कर सकते हैं। इसके बाद घर में शुद्धता के साथ सादा भोजन तैयार किया जाता है।

इस दिन भोजन में सिर्फ कद्दू की सब्जी, चने की दाल और चावल का प्रयोग होता है। खाने में लहसुन, प्याज, और अन्य मसालों का उपयोग नहीं किया जाता, ताकि भोजन पूरी तरह से सात्विक और शुद्ध रहे। इस भोजन को 'कद्दू-भात' कहते हैं और इसे बनाने के बाद व्रती खुद भोजन करते हैं, जिससे अगले दिन से उपवास की तैयारी शुरू हो जाती है।

नहाय-खाय का खास नियम

नहाय-खाय के दिन व्रती जो भी खाना बनाते हैं, उसमें पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है। भोजन बनाने से पहले और खाते समय पूरी साफ-सफाई का ध्यान रखना होता है। इस दिन से व्रती अपनी दिनचर्या को साधारण और संयमित कर लेते हैं। ये प्रक्रिया उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से अगले चार दिनों के कठिन व्रत के लिए तैयार करती है।

नहाय-खाय के बाद 

नहाय-खाय के बाद छठ व्रत में अगले दिन 'खरना' होता है, जिसमें रात में गुड़ और चावल का प्रसाद बनाकर व्रती उसे ग्रहण करते हैं और फिर 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करते हैं। इस तरह से नहाय-खाय छठ व्रत की एक अहम शुरुआत है, जो पूरे पर्व को पवित्रता और भक्ति का आधार देती है।

छठ का ये नहाय-खाय केवल एक रस्म नहीं बल्कि एक अनुभव है, जो श्रद्धा, विश्वास और पवित्रता के रंग में रंगा हुआ होता है। यही छठ का असली सौंदर्य है, जो हर साल लाखों लोगों को अपनी तरफ खींचता है।



Comments

  1. बहुत ही सुंदर जानकारी इस महापर्व की शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  2. बहुत शुक्रिया सर जी।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

Vat Savitri Vrat 2025: क्यों मनाया जाता है वट सावित्री व्रत और क्यों बांधती हैं महिलाएं बरगद के पेड़ पर धागा? जानिए आसान भाषा में पूरी कहानी

चंद्रशेखर आज़ाद की जयंती पर जानिए उनके जीवन पर लिखी गई प्रमुख किताबें

FD और RD में क्या फर्क होता है? समझिए आसान भाषा में..!