ये खत पापा के नाम ✉️
घर का हर कोना जैसे उनकी यादों से भरा हुआ है। सुबह जब आँखें खुलती हैं, तब उनकी प्यार से भरी आँखों को ढुंढती है जो कभी प्यार से मुझे जगाया करती थी। जैसे ही मैं किचन में कदम रखती हूँ, उनका हॉल में बैठ कर मुझे कूकिंग टिप्स देना बहुत याद आती है।
दिन का हर पल, हर वक्त उनके साथ का एहसास कराता है। वो दोपहर का खाना, जिसे हम सब साथ बैठकर खाते थे। आज भी उनकी हँसी और उनकी बातें मेरी आँखों सामने आने लगते जभी मैं अकेले खाना खाने बैठती हूँ। उनकी कहानियाँ, उनके अनुभव, सब कुछ जैसे आज भी मेरे साथ हैं। पर फिर अब हाथ नही जो कभी कम खाने पर अपने हाथ से खिलाया करते थे। उनकी कुर्सी, जिस पर बैठकर वो मुझे जीवन के सबक सिखाते थे, आज भी उन्हीं का साथ चाहती है।
उनका कमरा, उनकी अलमारी, उनकी डायरी – सब कुछ आज भी उन्हीं की महक से भरा हुआ है। हर छोटी-छोटी चीज़ में उनकी यादें बसी हैं, और हर पल, हर क्षण उनकी कमी महसूस होती है।
उनका होना, उनकी मौजूदगी, उनका प्यार – ये सब कुछ आज भी मेरे दिल में जीवित है। उनका न होना एक हकीकत है, पर उनकी यादें, उनका प्रेम हमेशा मेरे साथ रहेगा।
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